Bhai Dooj 2022: जानें भाई दूज पर्व की सही तिथि, मंत्र, शुभ मुहूर्त तिलक लगाने की विधि ! - Ramrajya Trust

Bhai Dooj 2022: जानें भाई दूज पर्व की सही तिथि, मंत्र, शुभ मुहूर्त तिलक लगाने की विधि !

हिंदू धर्म में भाई दूज के त्योहार का विशेष महत्व है। इस वर्ष यह त्योहार 27 अक्तूबर 2022 को है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को प्रति वर्ष मनाया जाता है। भाई दूज का पर्व रक्षा बंधन पर्व की तरह ही भाई बहन के आपसी स्नेह तथा प्रेम का प्रतीक है। भाई दूज के इस पर्व पर बहन भाई के माथे पर तिलक करती है, उसकी आरती उतारती है तथा उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। यह पर्व प्राचीन काल से चला आ रहा है। इस पर्व पर बहन भाई को अपने घर बुलाती है तथा उसको भोजन कराती है। इसके बाद बहन अपने भाई को सूखा नारियल देकर उसकी सुख समृद्धि की कामना करती है। पौराणिक मान्यता यह कहती है की इस पर्व पर यदि भाई बहन के घर भोजन करता है तो उसके आयुष्य में बृद्धि होती है। आइये अब आपको भाई दूज के शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी देते हैं।

 

भाई दूज पर्व का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष भाई दूज का पर्व 27 अक्टूबर 2022 को है। इस दिन तिलक करने का शुभ समय 12:14 से 12:47 तक का है। इस हिसाब से तिलक मुहूर्त की अवधि 33 मिनट की है।

 

तिलक लगाने का मंत्र

तिलक करते समय बहन को इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

 

गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को।

सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले-फलें।।

 

तिलक करने का सही विधान

सुबह स्नान करके शुद्ध तथा साफ़ वस्त्र पहनें। इसके बाद मुहूर्त से पहले ही भाई को तिलक करने के लिए तिलक का थाल सजा लें। तिलक के थाल में कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई, अक्षत और सुपारी को अवश्य रख लें। पिसे हुए चावल के आटे से चौक को निर्मित करें तथा इस पर भाई को बैठाएं। इसके बाद शुभ मुहूर्त में भाई को मंत्र के उच्चारण सहित तिलक करें। तिलक करने के बाद में पान, सुपारी, बताशे आदि को भाई को दे दें तथा इसके बाद भाई की आरती उतारें। तिलक तथा आरती के बाद भाई को मिष्ठान का सेवन कराएं तथा फिर भोजन कराएं।

 

भाई दूज पर्व की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार देवी यमुना तथा यमराज भाई बहन हैं। इन दोनों ने भगवान श्री नारायण की पत्नी छाया की कोख से जन्म लिया है। यमुना अपने भाई यम को अत्यधिक स्नेह करती थीं अतः वे समय समय पर यम को अपने घर भोजन करने का निमंत्रण देती रहती थीं। परन्तु यमराज अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त रहने के कारण सदैव भोजन के निमंत्रण को अस्वीकार कर देते थे।

एक बार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमुना देवी ने अपने भाई यमराज को अपने घर भोजन करने के लिए वचनबद्ध कर लिया। अतः इस तिथि को यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने के लिए निकले तथा नर्क के सभी जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर देखकर उनकी बहन यमुना अति प्रसन्न हुई। इसके बाद वह यमराज को बड़े सम्मान के साथ बैठा कर भोजन कराने लगी। अपनी बहन का स्नेह देखकर यमराज ने उससे कोई वरदान मांगने को कहा। यमुना ने यमराज से कहा “मुझे वरदान स्वरुप यह चाहिए कि इस दिन जो बहन मेरी तरह अपने भाई का आदर, सत्कार और टीका करके भोजन कराएगी उसे कभी आपका भय न हो।” यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्र तथा आभूषण दिए ओर वहां से चले गए। इसी समय से यह प्रचलन हुआ की जो बहन अपने भाई को घर बुलाकर उसका टीका करेगी तथा भोजन कराएगी तो उसके भाई पर यमराज की कृपा बनी रहेगी। जिससे उसके भाई का जीवन सुख समृद्धि से भरा रहेगा तथा उसको अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।

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