श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग : यहां जानें इसका इतिहास, महत्व तथा यात्रा के बारे में - Ramrajya Trust

श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग : यहां जानें इसका इतिहास, महत्व तथा यात्रा के बारे में

श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के गुजरात प्रदेश में काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र तट पर स्थित है। प्राचीन काल में इस स्थान को “प्रभास क्षेत्र” के नाम से जाना जाता था।  इसी स्थान पर भगवान श्री कृष्ण ने ज़रा नामक व्याध के बाण को निमित्त बनाकर अपनी लीला का संवरण किया था। इस ज्योतिर्लिंग की कथा का पौराणिक ग्रंथों में विस्तार से वर्णन किया गया है।

श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा

कथा की शुरुआत दक्ष प्रजापति से होती है। दक्ष की 27 कन्यायें थीं। इन सभी का विवाह चंद्रदेव से हुआ था। लेकिन चंद्रदेव का सबसे अधिक अनुराग सिर्फ रोहिणी के प्रति ही रहता था।  अतः चंद्रदेव की अन्य सभी पत्नियां उनके इस कृत्य से दुःखी रहती थीं। इन सभी ने इस बात को अपने पिता दक्ष प्रजापति को बताया। जिसके बाद दक्ष ने चंद्रदेव को कई प्रकार से समझाने का प्रयास किया। लेकिन रोहिणी के प्रेम में आकंठ डूबे चंद्र पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। जिसके बाद दक्ष प्रजापति ने क्रोधित होकर चंद्रदेव को क्षयग्रस्त होने का श्राप दे दिया। फलस्वरुप चंद्रदेव तुरंत क्षयग्रस्त हो गए।  जिसके बाद पृथ्वी पर सुधा शीतलता वर्षण का सभी कार्य रुक गया। चारों ओर अशांति फ़ैल गई तथा चंद्रदेव बहुत दुःखी हुए।

चंद्रदेव की प्रार्थना सुनकर इंद्रादि देवता तथा अनेक ऋषिगण भगवान ब्रह्मा जी के पास पहुंचें तथा चंद्रदेव के शाप विमोचन के लिए उपाय पूछा। पितामह ब्रह्मा जी ने कहा कि यदि चंद्रदेव अन्य देवताओं के साथ प्रभास क्षेत्र में जाकर भगवान शिव की उपासना करेंगे तो ही वे इस शाप से मुक्ति पा सकेंगे। इसके बाद चंद्रदेव ने इसी क्षेत्र में आकर भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी। उन्होने कठोर साधना की। जिसके फल स्वरूप भगवान शिव ने प्रकट होकर चंद्रदेव को अमरत्व का वरदान दिया। भगवान शिव ने कहा “तुम शोक न करों। मेरे वरदान से तुम्हारा शाप मोचन तो होगा ही साथ ही प्रजापति के के वचनों की रक्षा भी होगी। कृष्ण पक्ष में तुम्हारी एक कला कम होती जायेगी लेकिन शुक्ल पक्ष में एक कला बढ़ती जायेगी तथा पूर्णिमा को तुम्हे पूर्ण चंद्रत्व प्राप्त होगा।” चंद्रदेव को मिले इस वरदान के फल स्वरुप सभी देवता तथा ऋषिगण प्रसन्न हो गए तथा भगवान शिव से देवी पार्वती सहित इसी स्थान पर निवास करने की प्रार्थना करने लगे। जिसके बाद भगवान शिव देवी पार्वती सहित इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।

श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का इतिहास

आपको बता दें कि श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है। ऐतिहासिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि इस मंदिर पर आक्रमणकारियों ने 6 बार आक्रमण किया।  लेकिन फिर भी इसके पुनर्निर्माण के कार्य संचलित होते रहे। 7वीं बार इस मंदिर का निर्माण महामेरु प्रसाद शैली में किया गया। बता दें कि इस मंदिर के निर्माण कार्य से सरदार बल्लभ भाई पटेल भी जुड़े रह चुके हैं।

यह मंदिर तीन भागों में विभाजित है। जिनके नाम गर्भगृह, सभा मंडप तथा नृत्य मंडप हैं। इस मंदिर का शिखर 150 फिट ऊंचा है। इस मंदिर के शिखर पर स्थित कलश का भार 10 टन है। इसकी ध्वजा 27 फिट की है।  महारानी अहिल्याबाई ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कार्य कराया था।

श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का धार्मिक महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार सोम नाम चन्द्रमा का है। जो की दक्ष प्रजापति के दामाद थे। एक बार चंद्रदेव ने महाराज दक्ष की आज्ञा की अवहेलना कर दी थी।  जिसके बाद दक्ष ने चंद्रदेव को श्राप दे दिया था कि दिन प्रति दिन तुम्हारा प्रकाश धूमिल पड़ने लगेगा। जब सभी देवताओं ने दक्ष से इस श्राप के मोचन का उपाय पूछा तो उन्होंने कहा कि सरस्वती के किनारे पर समुद्र में स्नान करने से इस श्राप को रोका जा सकता है। इसके बाद चंद्रदेव ने सरस्वती के मुहाने पर स्थित अरब सागर में स्नान कर भगवान शिव की स्तुति की। जिसके बाद भगवान शिव प्रसन्न हुए तथा चंद्रदेव के शाप का विमोचन किया। इस कारण ही यहां स्थित ज्योतिर्लिंग सोमनाथ कहलाया।

इस प्रकार से पहुंचें सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

यदि  आप सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए जाना चाहते हैं तो वहां पहुंचने के लिए आपको किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होती है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के आसपास ही रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड तथा एयरपोर्ट स्थित हैं। ये सभी देश के बड़े शहरों से जुड़े हुए हैं। आइये अब आपको विस्तार से बताते हैं कि आप सोमनाथ ज्योतिर्लिंग किस प्रकार से पहुंचें।

ट्रेन से इस प्रकार पहुंचें सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

यदि आप ट्रेन से सोमनाथ ज्योतिर्लिंग जाना तो आपका सोमनाथ रेलवे स्टेशन पर पहुंचना ही अच्छा है। यह स्टेशन सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर से करीब 2 से 2.5 किमी की दूरी पर ही स्थित है।  लेकिन यह एक छोटा रेलवे स्टेशन है अतः हो सकता है कि आपको इसके लिए सीधी ट्रेन न मिल पाए अतः इससे अच्छा है कि वेरावल जंक्शन के लिए ट्रेन पकड़ लें। यह स्टेशन सोमनाथ मंदिर से मात्र 6 किमी की दूरी पर ही है। यहां से आप बस या ऑटो लेकर सीधे सोमनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं।

फ्लाइट से इस प्रकार पहुंचें सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

यदि आप फ्लाइट की सहायता से सोमनाथ मंदिर आना चाहते हैं तो आपको बता दें कि गुजरात का केशोद एयरपोर्ट इस मंदिर के सबसे पास है। इस एयरपोर्ट से सोमनाथ मंदिर की दूरी लगभग 55 किमी है।  यदि आपको केशोद एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट नहीं मिल पाती तो आप दीव एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट पकड़ सकते हैं। यहां से सोमनाथ मंदिर 82-86 किमी दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से आप बस या टैक्सी लेकर आसानी से मंदिर आ सकते हैं।

बस से इस प्रकार पहुंचें सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

सोमनाथ मंदिर जाने के लिए आपको गुजरात के प्रत्येक बस स्टैंड से बस आसानी से मिल जाती है।  गुजरात जानें के लिए आपको इसके पास शहर जैसे नासिक, उदयपुर, औरंगाबाद आदि के लिए आसानी से बस मिल जाती है। इन शहरों से आप बस लेकर सीधे सोमनाथ मंदिर पहुँच सकते हैं।

सोमनाथ मंदिर के आसपास ठहरने की व्यवस्था

सोमनाथ मंदिर के आसपास रात को ठहरने के लिए कई प्रकार की व्यवस्थाएं हैं।

 

आइये उन सभी के बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं।

1 . सोमनाथ मंदिर के आसपास काफी प्राइवेट होटल हैं। जिनमें आप 700 से 1400 रुपये किराये पर ठहर सकते हैं।

2 . आप सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के गेस्ट हाउस में भी रुक सकते हैं।  यहां आपको नॉन एसी रूम 700 रुपये तथा एसी रूम 1100 रुपये में उपलब्ध हो जाते हैं। गेस्ट हाउस की बुकिंग आप ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों तरीकों से कर सकते हैं।

3 . सोमनाथ मंदिर के आसपास कई धर्मशालाएं भी हैं। यहां आपको 24 घंटे के लिए 100 से 300 रुपये तक किराया देना होता है।

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