छट पूजा 2022 : जानें छट पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, अर्ध्य का समय तथा व्रत कथा ! - Ramrajya Trust

छट पूजा 2022 : जानें छट पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, अर्ध्य का समय तथा व्रत कथा

छट पर्व प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाता है। इसलिए ही इस तिथि को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व दीपावली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। झारखंड, बिहार तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस पर्व को लोग बहुत धूमधाम से मनाते हैं। इसके अलावा वर्तमान समय में अब अन्य राज्यों में भी धीरे धीरे यह पर्व लोग मनाने लगे हैं। इस पर्व में मुख्य रूप में सूर्य देव तथा छटी मैया का पूजन किया जाता है। यह व्रत संतान की दीर्धायु, सौभाग्य तथा पारिवारिक खुशहाली के लिए महिलायें करती हैं। इस पर्व के दौरान महिलायें 36 घंटे का निर्जल व्रत रखती हैं। आइये जानते हैं कि इस वर्ष इस पर्व का कौन सा दिन किस तिथि को है।

 

छठ पूजा का पहला दिन

 

नहाय- खाए- 28 अक्टूबर 2022

दीपावली के चौथे दिन अर्थात कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय खाए की परंपरा को पूरा किया जाता है। इस दिन कुछ विशेष परंपराओं का पालन करना होता है। इस वर्ष 28 अक्टूबर 2022 से इस पर्व का आरंभ होगा। इस दिन घर की साफ़ सफाई कर उसको शुद्ध किया जाता है। इसके बाद में छठ व्रती स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करती है तथा उसके बाद में घर के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।

 

छठ पूजा का दूसरा दिन

 

खरना- 29 अक्टूबर 2022

दूसरे दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल पंचमी को सभी भक्त दिनभर उपवास करते हैं। इस दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन व्रती सुबह स्नान ध्यान कर दिनभर व्रत करते हैं। इस दिन भगवान सूर्य के लिए प्रसाद भी बनाया जाता है। इसके बाद शाम को गुड़ की खीर बनाई जाती है। ख़ास बात यह है कि इस प्रसाद को नए चूल्हे पर आम के वृक्ष की लकड़ी से निर्मित किया जाता है।

 

छठ पूजा का तीसरा दिन

 

डूबते सूर्य को अर्घ्य- 30 अक्टूबर 2022

कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि इस पर्व की मुख्य तिथि होती है। व्रती इस दिन शाम के समय पूजन की तैयारी करते हैं तथा टोकरी में अर्ध्य का सूप सजाया जाता है। इसी दिन व्रती डूबते सूर्य को अर्ध्य देने के लिए शाम के समय पूरे परिवार के साथ घाट पर जाता है। आपको बता दें कि इस वर्ष सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 37 मिनट है।

 

छठ पूजा का चौथा दिन

 

उगते सूर्य को अर्घ्य- 31 अक्टूबर 2022

इस पर्व के चौथे दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल सप्तमी को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। इस दिन भक्त लोग सूर्योदय से पहले ही सूर्य देव के दर्शन के लिए जल में खड़े हो जाते हैं तथा उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देते हैं। अर्ध्य देने के उपरान्त व्रती प्रसाद का सेवन कर व्रत का पारण करती है। आपको बता दें कि इस वर्ष सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर है।

 

छठ पूजन का अर्ध्य देने का विधान

इसके लिए एक बांस के सूप में केला तथा अन्य फल, अलोना प्रसाद तथा ईख आदि रखकर उसको पीले वस्त्र से ढक दिया जाता है। इसके बाद दीपक को जलाकर सूप में रखा जाता है। इसके बाद सूप को दोनों हाथों में उठाकर अस्त होते हुए सूर्यदेव को अर्ध्य दें। छठ पूजन का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी तथा लोकपक्ष है। भक्ति तथा आध्यात्म से परिपूर्ण इस पर्व में न तो विशाल मंदिरों की आवश्यकता है ओर न ही बड़े पंडालों की। यह ह्रदय से भक्ति का प्रतीक है।

 

छठ पर्व की पौराणिक कथा

छठ पर्व को प्राचीन काल से ही भारत भूमि में मनाया जाता है। पौराणिक ग्रंथों में भी इसका वर्णन मिलता है। मान्यता है कि महाभारत काल में इस पर्व को सर्व प्रथम देवी कुंती ने किया था। सूर्य की आराधना से ही कुंती को कर्ण जैसे दानवीर पुत्र की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद कर्ण ने भी भगवान सूर्य की आराधना की। वह घंटों तक कमर तक जल में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्ध्य देता था। जिसके बाद वह महायौद्धा बन सका। अतः आज भी कमर तक जल में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्ध्य देने की प्रथा है।

वहीं दूसरी ओर यह तथ्य भी सामने आया है कि पांडवों की पत्नी द्रौपदी भी सूर्यदेव की प्रतिदिन पूजा किया करती थी। वह अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य तथा लंबी उम्र के लिए सूर्य पूजन किया करती थी। जब पांडव अपना राजपाठ खो बैठे थे। जब द्रौपदी ने छठ व्रत को किया था। जिसके कारण पांडव अपना खोया राजपाठ पा सके।

पौराणिक मान्यता के अनुसार छटी देवी भगवान सूर्यदेव की बहन हैं। इन्ही को प्रसन्न करने के लिए इस व्रत का पारायण किया जाता है तथा गंगा या यमुना किसी नदी में कमर तक खड़े होकर सूर्यदेव को अर्ध्य दिया जाता है।

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