त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग : यहां जानें इसका इतिहास, महत्व तथा यात्रा के बारे में
त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। यह महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले की त्रयंबकेश्वर तहसील के त्रिंबक नामक नगर में स्थित है। जिस स्थान पर यह मंदिर है वह स्थान ब्रह्मगिरि पर्वत क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इसके बारे में एक तथ्य यह भी है कि गोदावरी नदी भारत की सबसे लंबी दूसरी नदी है। जिसका उद्गम इसी मंदिर के पास में है। अतः त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर गोदावरी नदी के तट पर ही स्थित है। यदि आप इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए आना चाहते हैं तो इस बात का भी ध्यान रखें की त्रयंबकेश्वर जैसा पवित्र स्थान, गोदावरी जैसी पवित्र नदी तथा ब्रह्मगिरि पर्वत जैसा दिव्य स्थल आपको एक साथ ओर कहीं नहीं मिलता है। यहां का प्राकृतिक वातावरण अत्यंत मनोरम है अतः बहुत से लोग इस स्थान पर पर्यटन का आनंद लेने भी आते हैं।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर के बारे में
महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर एक ऐसा स्थान है। जहां पर न सिर्फ भक्तगण दर्शन करने आते हैं बल्कि प्राचीन समय की वास्तु कला प्रेमी भी आते हैं। इस मंदिर में भगवान ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव के लिंग के अलावा इस मंदिर की नक्काशी भी अत्यंत सुंदर तरीके से की गई है। काले पत्थर से निर्मित यह त्र्यंबकेश्वर मंदिर भक्तगणों के लिए अत्यंत महत्व रखता है। आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में नाना साहब पेशवा ने कराया था। जो की एक मराठा शासक थे। इस मंदिर के परिसर में एक पवित्र कुंड भी है। जिसको गोदावरी नदी का उद्गम स्थल भी कहा जाता है। इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव, ब्रह्मा तथा विष्णु के लिंग एक ही स्थान पर स्थापित हैं। इसी कारण इसको त्र्यंबकेश्वर के नाम से जाना जाता है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा
यह कथा महर्षि गौतम के जीवनकाल की है। जब महर्षि गौतम तपोवन में निवास करते थे। उस समय वहां निवास वाले ब्राह्मणों की पत्नियां किसी बात पर महर्षि गौतम की पत्नी अहिल्या से ईर्ष्या करने लगी। इसके बाद उन सभी महिलाओं ने अपने पतियों को महर्षि गौतम का अपमान करने के लिए प्रेरित किया। गौतम ऋषि को अपमानित करने के लिए उन ब्राह्मणों ने भगवान गणेश की तपस्या की। जिसके बाद भगवान गणेश ने उन सभी को दर्शन देकर वरदान मांगने के लिए कहा। वरदान में ब्राह्मणों ने गणेश जी से ऋषि गौतम को तपोवन से बाहर निकालने के लिए कहा। भगवान गणेश को न चाहते हुए भी उनकी इस इच्छा को मानना पड़ा। इसके बाद में उन्होंने एक दुर्बल गाय का रूप धारण किया तथा गौतम ऋषि के खेत में जाकर उनकी फसल को चरने लगे। जब ऋषि गौतम ने यह देखा तो उन्होंने अपने हाथ में कुछ तिनके लिए तथा गाय को खेत से बाहर करने लगे। जैसे की तृण पत्रों ने गाय का स्पर्श किया। गाय वहीं गिर पड़ी तथा मृत हो गई।
मौका पाकर सभी ब्राह्मण ऋषि गौतम के सामने एकत्र हो गए तथा उनको गौ हत्यारा कह कर उनका अपमान करने लगे। यह देख ऋषि गौतम ने उन ब्राह्मणों से अपने किये पाप का प्रायश्चित पूछा। तब उन ब्राह्मणों ने कहा तुम अपने किये पाप को सभी को बताते हुए तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा करो। इतना करने के उपरांत एक माह का व्रत करो। इसके बाद में ब्रह्मगिरि पर सौ बार घूमों तब जाकर आपकी शुद्धि होगी। यदि आप यह उपाय न कर पाओं तो गंगाजल लाकर तथा एक करोड़ पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की उपासना करो। इसके उपरांत गगाजल से स्नान करके पुनः सौ घडो से पार्थिव शिवलिंग को स्नान कराने से आपकी शुद्धि होगी।
इसके बाद में ऋषि गौतम ने ब्राह्मणों के बताये कठोर प्रायश्चित को पूरा किया। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए तथा वर मांगने को कहा। ऋषि गौतम ने कहा प्रभू आप मुझे गौ हत्या के पाप से मुक्त कर दीजिये। भगवान शिव ने कहा “तुम हमेशा से निष्पाप ही हो गौतम, गौ हत्या का पाप तुम पर छल पूर्वक लगाया गया है ओर इसी कारण अब मैं तुम्हारे आश्रम के उन ब्राह्मणों को कठोर दंड देना चाहता हूँ।” इस पर ऋषि गौतम ने कहा “उन्ही के उस कार्य के कारण मैं आपके दर्शन कर पाया हूँ प्रभू। उनको मेरा आत्मीय समझकर आप उन्हें क्षमा कर दें।” इसके उपरांत बहुत से ऋषि मुनियों, देवताओं तथा गंगा देवी ने वहां उपस्थित होकर ऋषि गौतम की बात का अनुमोदन किया ओर भगवान शिव से इसी स्थान पर निवास करने की प्रार्थना की। सभी की प्रार्थना के उपरांत भगवान शिव गौतमी नदी के तट पर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर के आसपास घूमने के स्थान
त्र्यंबकेश्वर मंदिर के आसपास इस प्रकार के कई स्थान हैं। जहां पर आप दर्शन पूजन कर पुण्य लाभ ले सकते हैं। इनके नाम निम्न लिखित हैं।
- दूध सागर झरना।
- कालाराम मंदिर।
- माताम्बा मंदिर।
- मुक्तिधाम मंदिर।
- पांडवलेनी गुफा।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर में दर्शन तथा पूजन का समय
भक्तों के दर्शन तथा पूजन के लिए यह मंदिर प्रतिदिन प्रातः काल 5 बजे से रात्रि 8 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में इन दोनों समयों के मध्य कई प्रकार के पूजन तथा आरती की जाती है। आप इनमें भाग ले सकते हैं तथा दर्शन पूजन का लाभ ले सकते हैं।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर आने पर ठहरने की व्यवस्था
यदि आप किसी दूर के स्थान से आ रहें हैं ओर आपने किसी होटल या धर्मशाला में बुकिंग नहीं कराई है तो आप श्री त्रयंबकेश्वर बस स्टैंड पर उतर कर यहां के किसी होटल या धर्मशाला में आराम से रुक सकते हैं। आपको इस मंदिर के आसपास आसानी से धर्मशाला, होटल तथा आश्रम भी मिल जाते हैं। जहां आप आसानी से ठहर सकते हैं।
इन सभी के अलावा आप श्री त्रयंबकेश्वर मंदिर ट्रस्ट के शिव प्रसाद भक्त निवास में भी कमरा ले सकते हैं। यह त्रयंबकेश्वर बस स्टैंड के पास ही स्थित है। यहां आपको एसी कमरा 1 हजार रुपये तथा नॉन एसी कमरा 250 रुपये में आसानी से मिल जाता है। यदि आपको इस स्थान पर कमरा नहीं मिलता है तो आप त्रयंबकेश्वर नगर के प्रारंभ में ही स्थित श्री गजानन महाराज के भक्त निवास में भी रुक सकते हैं। यहां आपको एसी कमरा 800 रुपये तथा नॉन एसी कमरा 300 रुपये तक में मिल जाता है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर आने पर भोजन की व्यवस्था
श्री गजानन महाराज के भक्त निवास की कैंटीन में आप यदि भोजन करते हैं तो यह आपके लिए सबसे अच्छा अनुभव रहेगा। यहां पर आप भरपेट भोजन मात्र 35 रुपये में कर सकते हैं। यहां पर बच्चों के लिए दूध तथा बड़े लोगों के लिए चाय कॉफी का विशेष प्रबंध भी है। यहां की स्वच्छता ओर सुंदरता सभी यात्रियों का मन मोह लेती है। श्री गजानन महाराज के भक्त निवास की कैंटीन के अलावा भी यहां कई इसी प्रकार के स्थान हैं। जहां पर आप भोजन कर सकते हैं।
कब जाएं त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
यहां पर श्रद्धालुओं का आना जाना वैसे तो 12 महीने होता है। लेकिन यदि आप परिवार तथा बच्चों के साथ में यहां आना चाहते हैं तो आप गर्मी के दिनों में यहां आने से बचें। अक्टूबर से मार्च के महीने के मध्य यहां की यात्रा करना अच्छा होता है।
सड़क मार्ग से कैसे आएं त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
यदि आप सड़क मार्ग से इस मंदिर में आना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले नासिक आना होगा। नासिक से इस मंदिर की दूरी मात्र 30 किमी है। यदि आप पुणे की ओर से इस मंदिर तक आना चाहते हैं तो बता दें की पुणे से इस मंदिर की दूरी 240 किमी है। यदि आप मुंबई से यहां सड़क मार्ग से आना चाहते हैं तो वहां से इस मंदिर की दूरी 175 किमी है।
हवाई जहाज से कैसे आएं त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
मुंबई का छत्रपति शिवाजी हवाई अड्डा इस मंदिर के सबसे पास स्थित है। यह हवाई अड्डा इस मंदिर से मात्र 175 किमी की दूरी पर है। इसके अलावा दूसरा एयरपोर्ट औरंगाबाद में है। जिसकी इस मंदिर से दूरी 210 किमी है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी या बस के माध्यम से इस मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते हैं।
ट्रेन से कैसे आएं त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
यदि आप ट्रेन से इस मंदिर के दर्शन करने आना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले नासिक रेलवे स्टेशन पहुंचना होता है। नासिक रेलवे स्टेशन तक आने के लिए देश के प्रत्येक कोने से रेलवे सुविधा उपलब्ध है। नासिक रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूरी मात्र 30 किमी है। यहां से आप टैक्सी या बस की सहायता से आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।