नागेश्वर ज्योतिर्लिंग : यहां जानें इसका इतिहास, महत्व तथा यात्रा के बारे में - Ramrajya Trust

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग : यहां जानें इसका इतिहास, महत्व तथा यात्रा के बारे में

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के गुजरात प्रदेश में स्थित है। आपको हम यहां यह भी बता दें की गुजरात में दो ज्योतिर्लिंग हैं।  एक सोमनाथ ज्योतिर्लिंग तथा दूसरा नागेश्वर ज्योतिर्लिंग। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वारका धाम से मात्र 18 किमी की दूरी पर स्थित है। इस स्थान का महत्व तथा महिमा अभूतपूर्व है। यही वह स्थान है जहां द्वारकाधीश भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते थे। पौराणिक कथाओं में भगवान शिव को नागों का देवता भी कहा जाता है। भगवान् शिव के सहस्र नामों में एक नाम नागेश्वर भी है। नागेश्वर अर्थात नागों के ईश्वर। लोक मान्यता है कि जो भी व्यक्ति नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का श्रद्धापूर्वक दर्शन करता है। वह सभी पापो से मुक्त होकर भगवान शिव के दिव्यलोक में स्थान पाता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

प्राचीन काल में सुप्रिय नामक एक वैश्य व्यक्ति था। यह व्यक्ति भगवान शिव का अनन्य भक्त था।  सुप्रिय नामक यह व्यक्ति भगवान शिव की बहुत भक्ति करता था ओर सुबह से शाम तक शिव भक्ति में तन्मय रहता था। इसी कालखंड में दारुक नामक एक राक्षस भी था। जो शिव भक्तों से घृणा करता था ओर शिव पूजन में निरंतर बाधा पहुंचाता था। सुप्रिय नामक वैश्य की शिव भक्ति से प्रभावित होकर कई अन्य लोग भी भगवान शिव के भक्त हो चुके थे। दारुक राक्षस को यह पता लगा की सुप्रिय अपने कुछ साथियों के साथ नाव में बैठकर कहीं जा रहा है। इसके बाद दारुक ने सुप्रिय तथा उसके साथियों की नाव पर आक्रमण कर दिया। तत्पश्चात दारुक ने सुप्रिय तथा उसके साथियों को पकड़ कर अपने राज्य के कारागार में डाल दिया। सुप्रिय कारागार में ही नित्य प्रति की तरह शिव पूजन में तन्मय रहने लगें। उनकी भक्ति के कारण उनके साथी तथा अन्य लोग भी शिव भक्ति के प्रति जागरूक हो गए ओर वे भी शिव भक्ति करने लगे। इस प्रकार से सम्पूर्ण कारागार शिवमय हो गया।

इस बात की भनक जब दारुक को लगी तो वह क्रोध में भर गया ओर कारागार में आ पहुंचा।  उसने वहां देखा की सुप्रिय आँखें बंद करके भगवान शिव की समाधी में बैठा है। यह देखकर वह अत्यधिक क्रोध में भर गया। इसके बाद उसने भनायक चीत्कार करते हुए कहा “अरे दुष्ट, तू यहां आँखें बंद करके किस प्रकार के षड़यंत्र के बारे में विचार कर रहा है।” उसके इस स्वर से सुप्रिय विचलित नहीं हुआ तो दारुक ओर अधिक क्रोध में आ गया ओर उसने कारागार में बंद सभी लोगों की हत्या करने का आदेश दे दिया। सुप्रिय आंखे बंद करके भगवान शिव से अपनी ओर अपने साथियों की रक्षा की प्रार्थना करने लगा। अपने भक्त की सच्ची प्रार्थना सुनकर भगवान शिव तत्क्षण उस कारागार में ऊँचें चमकते हुए सिंहासन पर बैठे हुए ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो गए। इसके बाद उन्होंने अपने पाशुपतास्त्र से दारुक तथा उसके साथियों का वध कर दिया। वैश्य सुप्रिय ने भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का विधि विधान से पूजन किया तथा भगवान शिव से इसी स्थान पर स्थापित होने की प्रार्थना भी की। भगवान शिव अपने भक्त की प्रार्थना को मान कर वहीं स्थापित हो गए। इस प्रकार से भगवान शिव “नागेश्वर” कहलाये तथा माता पार्वती “नागेश्वरी” कहलायी।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर खुलने का समय

प्रतिदिन प्रातः काल 5 बजे नागेश्वर मंदिर में आरती होती है। भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक खुलता है। इसके बाद शाम को 4 बजे ज्योतिर्लिंग का श्रृंगार किया जाता है तत्पश्चात गर्भगृह के दरवाजे बंद हो जाते हैं।  इसके बाद शाम 5 बजे से रात 9.30 तक मंदिर को श्रृंगार दर्शन के लिए खोला जाता है। मंदिर में शाम को 7 बजे आरती होती है। इसके अलावा शिवरात्रि, सावन सोमवार जैसे पर्वों पर यह मंदिर अधिक समय तक खुलता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग किस प्रकार से जाएं

गुजरात के द्वारका जिले में स्थित इस मंदिर तक पहुंचना काफी सरल है।  इस मदिर के 150 किमी के दायरे में सभी प्रकार के साधनों की सुविधा आपको मिल जाती है। आइये अब आपको बताते हैं इस मंदिर तक आप किस प्रकार से पहुंचें।

फ्लाइट से इस प्रकार पहुंचें नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

पोरबंदर एयरपोर्ट इस ज्योतिर्लिंग के सबसे पास का एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट नागेश्वर मंदिर से करीब 125 किमी की दूरी पर स्थित है। पोरबंदर एयरपोर्ट भारत के कुछ प्रमुख हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है।  पोरबंदर एयरपोर्ट से नागेश्वर मंदिर तक जाने के लिए आपको गुजरात राज्य की बसों के अलावा प्राइवेट बसें तथा टैक्सी की सुविधा भी उपलब्ध है।

ट्रेन से इस प्रकार पहुंचें नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के सबसे पास का रेलवे स्टेशन द्वारका रेलवे स्टेशन है।  यह स्टेशन नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से मात्र 15 किमी की दूरी पर स्थित है। द्वारका रेलवे स्टेशन दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बंगलौर तथा वाराणसी से सीधा जुड़ा हुआ है। यदि आप इन शहरों या इन शहरों के आसपास निवास करते हैं तो आप द्वारका रेलवे स्टेशन के लिए सीधी ट्रेन पकड़ सकते हैं। द्वारका रेलवे स्टेशन से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर जानें के लिए आपको बसें तथा प्राइवेट टैक्सी की सुविधा आसानी से मिल जाती है।

बस से इस प्रकार पहुंचें नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर जाने के लिए आपको गुजरात के विभिन्न शहरों से सीधी बस मिल जाती है।  लेकिन यदि आप किसी अन्य राज्य में निवास करते हैं तथा नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर दर्शन करने के लिए आना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको गुजरात के राजकोट शहर में आना पड़ता है। इस स्थान से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर 225 किमी की दूरी पर स्थित है। राजकोट से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर यानी द्वारका जानें के लिए आपको बस, टैक्सी तथा ट्रेन तीनों की सुविधा मिल जाती है।

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