ओंकारेश्वर मंदिर : यहां जानें इसका इतिहास, महत्व तथा यात्रा के बारे में - Ramrajya Trust

ओंकारेश्वर मंदिर : यहां जानें इसका इतिहास, महत्व तथा यात्रा के बारे में

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवन शिव को समर्पित है। यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। नर्मदा नदी के तट के निकट शिवपुरी के मान्धाता द्वीप पर स्थित यह ज्योतिर्लिंग अत्यंत प्राचीन है। मान्यता है कि नर्मदा नदी भी इस स्थान पर ॐ के आकार में प्रवाहित होती है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का अब तक का जो इतिहास ज्ञात है। उससे पता लगता है कि इस मंदिर का निर्माण  सन 1063 में राजा उदयादित्य ने कराया था। इसके उपरांत राजा भारत सिंह चौहान ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। इसके बाद के इतिहास में मांधाता द्वीप पर सिंधियाँ, मालवा, परमार राजवंशों ने शासन किया। 1824 में यह क्षेत्र ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण में आ गया था। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को आज से लगभग 5500 वर्ष प्राचीन माना जाता है। इस ज्योतिर्लिंग का जो वर्णन पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। उसके आधार पर ही इसकी प्राचीनता का वर्णन हो पाया है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के संबंध में जो कथाएं पौराणिक ग्रंथों में प्रचलित हैं। उनमें से के राजा मांधाता की है। कथा के अनुसार राजा मांधाता भगवान शिव के भक्त थे। उन्होंने इसी स्थान पर भगवान शिव की अत्यंत कठोर तपस्या की थी। जिसके फलस्वरूप भगवान शिव ने उन्हें प्रसन्न होकर दर्शन दिए थे। उस समय राजा मांधाता ने भगवान शिव से इस स्थान पर निवास करने का निवेदन किया था। जिसके बाद भगवान शिव इस स्थान पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुए थे।

इसी संबंध में एक अन्य कथा भी आती है। यह कथा देवासुर संग्राम से जुडी हुई है। इस युद्ध में जब देवता पराजित होने लगें तो उन्होंने भगवान शिव से सहायता से के लिए प्रार्थना की। भगवान शिव की कृपा से देवताओं ने देवासुर संग्राम में विजय पाई। इसके बाद देवताओं ने भगवान शिव से इस स्थान पर स्थापित होने के लिए प्रार्थना की। जिसके बाद भगवान शिव इस स्थान पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुए।

नर्मदा तथा कावेरी के संगम तट पर है स्थित

आपको बता दें कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा तथा कावेरी नदी के संगम तट पर स्थित है। इस बात को भी कम लोग ही जानते ओंकारेश्वर में दो ज्योतिर्लिंग स्थित हैं। जो ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग तथा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कहलाते हैं। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मांधाता पर्वत तथा शिवपुरी के मध्य स्थित है जब की दक्षिणी तट पर ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग : भोग तथा पूजन

1 . नेवैद्य भोग

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में प्रतिदिन प्रातःकाल नेवैद्य भोग लगाया जाता है। इस भोग में शुद्ध देशी घी से निर्मित चावल, शक्कर तथा दही का उपयोग किया जाता है। आप अपने परिवार के विशेष शुभ अवसरों पर आकर इस भोग को लगा सकते हैं।

2 . रुद्राभिषेक पूजन

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में आप रुद्राभिषेक पूजन कर सकते हैं। भगवन शिव को रुद्राभिषेक अत्यंत प्रिय है।  इसके लिए मंदिर ट्रस्ट ने विशेष व्यवस्था की है। यदि आप यहां रुद्राभिषेक करना चाहते हैं तो स्वागत कक्ष से रसीद प्राप्त कर अथवा ऑनलाइन बुकिंग कर रुद्राभिषेक संपन्न कर सकते हैं। इसके अलावा आप यदि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का श्रृंगार करना चाहते हैं तो आप मंदिर कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं अथवा ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं। श्रृंगार का कार्य संस्था के पुजारी की सहायता से कराया जाता है।

3 . सांय कालीन नर्मदा आरती

प्रतिदिन सायंकाल में आप स्थानीय कोटितीर्थ घाट पर मां नर्मदा की आरती का आनंद ले सकते हैं।  यदि आप अपनी ओर से मां नर्मदा की आरती करना चाहते हैं तो निर्धारित भेंट राशि मंदिर से स्वागत कक्ष में जमा करके कर सकते हैं।

4 . शयन श्रृंगार दर्शन

मंदिर में शयन आरती के बाद में 9 से 9.30 तक आप भगवान भोलेनाथ के शयन दर्शन कर सकते हैं। जिसमें भगवान के शयन हेतू चांदी का झूला लगाया जाता है तथा शयन सेज सजाई जाती है। सेज पर चौपड़ पासा भी सजाया जाता है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव तथा देवी पार्वती प्रतिदिन रात्रि विश्राम हेतू पधारते हैं। अतः इस समय के दर्शन आप अवश्य करें।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर पर विश्राम व्यवस्था

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर ट्रस्ट ने यात्रियों के प्रवास को सुखद बनाने के लिए “श्रीजी विश्रामालय” को प्रारंभ किया है। यह मंदिर से मात्र 1 किमी की दूरी पर ही स्थित है। यहां पर श्रद्धालुओं के निवास हेतू हवादार तथा साफ़ सुथरे कमरे तथा हॉल हैं। यहां आपको आपको शौचालय तथा स्नानागार की सुविधा भी मिलती हैं साथ ही शयन हेतू विस्तर भी प्रदान किये जाते हैं। यहां 80 लोग ठहर सकते हैं। यहां ठहरने के लिए तत्काल तथा ऑनलाइन बुकिंग दोनों ही माध्यम से बुकिंग की जा सकती है। मात्र 20 रुपये प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के शुल्क पर आप यहां ठहर सकते हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचें

1 . एयरपोर्ट से इस प्रकार पहुंचें ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

यदि आप हवाई यात्रा करके ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन करने आना चाहते हैं तो आपको ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से 77 किमी दूर इंदौर एयरपोर्ट पर आना होता है। यहां से आप बस या टैक्सी की सहायता से आसानी से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर तक आ सकते हैं।

2 . रेल मार्ग से इस प्रकार पहुंचें ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

यदि आप रेल मार्ग से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जाना चाहते हैं तो बता दें कि इस मंदिर के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। रेल से यहां पहुंचने के लिए आपको इंदौर या खंडवा रेलवे स्टेशन पर आना होता है। यहां से आप बस या टैक्सी की सहायता से आसानी से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग तक पहुंच सकते हैं।

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