भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग : यहां जानें इसका इतिहास, महत्व तथा यात्रा के बारे में
महाराष्ट्र राज्य में भगवान शिव के तीन ज्योतिर्लिंग हैं। जिनमें से एक भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंग पुणे शहर से लगभग 115 किमी दूरी पर है। यह ज्योतिर्लिंग सहाद्रि नामक पर्वत की हरीभरी घाटियों के बीच स्थित है। यह एक रमणीय स्थान है। यह ज्योतिर्लिंग भीमा नामक नदी के उद्गम स्थल शिराधन गांव में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग काफी मोटा होने के कारण मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि यह ज्योतिर्लिंग अमोघ है। इसके दर्शन तथा पूजन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
किस समय जाएं भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग आप वैसे तो कभी भी जा सकते हैं लेकिन यात्रा के लिए अक्टूबर माह से फरवरी माह के मध्य का समय सबसे ज्यादा सही होता है। इन दिनों में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का अलौकिक स्वरुप तथा सह्याद्री पर्वत का सुहाना मौसम भी देखने को मिलता है। बारिश के मौसम के बाद यहां का मौसम सुहाना हो जाता है ओर हल्की सर्दी में यात्रा का आनंद भी बढ़ जाता है।
भीमाशंकर मंदिर के आसपास रुकने के स्थान
आप सुबह दर्शन करने के बाद शाम तक आसानी से वापस आ सकते हैं। लेकिन यदि आप यहां के दर्शनीय स्थानों पर भी घूमना चाहते हैं तो बता दें कि मंदिर के पास ही आपको 400 से 700 रुपये के अंदर कमरे मिल जाते हैं। मंदिर से कुछ ही दूरी पर अच्छे रिजॉर्ट तथा होटल भी हैं। मंदिर के अंदर भी भक्तों के निवास का कार्य वर्तमान में चल रहा है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की कथा
लंकापति रावण के भाई कुम्भकरण की पत्नी का नाम कर्कटी था। लेकिन वह लंका में नहीं बल्कि एक पर्वत पर निवास करती थी। कुम्भकरण तथा कर्कटी का एक पुत्र था। जिसका नाम भीम था। जब प्रभू श्रीराम ने कुम्भकरण का वध किया तब भीक काफी छोटा था। उस समय कर्कटी ने अपने पुत्र भीम को बलवान बनाने का प्रण किया ताकी भीम अपने पिता के वध का बदला ले सके। समय के साथ जब भीम बड़ा हो गया तो कर्कटी ने उसको उसके पिता के वध के बारे में बताया। जिसके बाद वह अति क्रोधित हो उठा। भीम ने भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या की। जिसके बाद भगवान् ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर उसको शक्तिशाली होने के बरदान दिया। इसके बाद भीम ने देवलोक पर आक्रमण कर देवलोक को अपने आधीन कर लिया।
भीम के देवलोक को आधीन करने के बाद उसके अत्याचार बढ़ते गए। वेद तथा पुराणों का लोप होने लगा। यज्ञ, दान आदि अनुष्ठान बंद हो गए। इस समय सभी मानव, ऋषि मुनि, जीव जंतु आदि त्रस्त हो उठे। उस समय कामरूप देश के राजा सुदक्षिण थे। वे शिवभक्त थे। भीम ने कामरूप देश पर आक्रमण कर राजा सुदक्षिण को बंदी बना लिया तथा कारागार में डाल दिया। इसके बाद सभी ऋषि मुनि तथा देवता भगवान शिव के पास पहुंचें तथा भीम के अत्याचारों से मुक्ति प्रदान कराने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने कहा की उसने मेरे भक्त सुदक्षिण को भी बंदी बना लिया है इसलिए अब उसका संहार हो कर रहेगा। इधर राजा सदक्षिण ने कारागार में शिवलिंग बना लिया तथा वहां नित्य शिव पूजन करने लगें। राजा सुदक्षिण से प्रेरित होकर अन्य बंदी भी शिवभक्ति करने लगें।
भीम को जब इस बात का पता लगा तो वह अत्यंत क्रोधित हो उठा तथा राजा सुदक्षिण का वध करने के लिए कारागार में पहुंच गया। उस समय राजा सुदक्षिण शिव पूजन कर रहें थे। भीम ने क्रोधित होकर अपनी तलवार को शिवलिंग पर मारा। तलवार शिवलिंग को छू भी नहीं पाई की वहां भगवान शिव अपने रौद्र रूप में प्रकट हो गए। भगवान शिव की हुंकार मात्र से भीम जलकर भस्म हो गया। इसके पश्चात सभी देवताओं ने भगवान शिव से उसी स्थान पर स्थापित होने की प्रार्थना की। भगवान शिव लोक कल्याण के लिए उस स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए। इस कारण यह ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर नाम से प्रसिद्ध हुआ।
भीमाशंकर मंदिर के निकट के दर्शनीय स्थल
भीमाशंकर मंदिर के दर्शन के बाद में आप यहां के कई दर्शनीय स्थलों को भी घूम सकते हैं। इन स्थानों में हनुमान झील, नागफनी पॉइंट, साक्षी विनायक मंदिर, गुप्त भीमा शंकर मंदिर, माशंकर वन्यजीव अभयारण्य प्रमुख हैं। आइये अब आपको इनके बारे में जानकारी देते हैं।
1 . गुप्त भीमाशंकर मंदिर
यह मंदिर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से करीब 3 किमी दूरी पर स्थित है। भीमा नदी के उद्गम स्थल के पास यही वह स्थान है। जहां मूल शिवलिंग की खोज हुई थी। यहां पर आप देखते है कि पहाड़ों से पानी बहता हुआ नीचे आता है तथा झरने के रूप में शिवलिंग पर गिरता है। बरसात के दिनों में यह शिवलिंग नहीं दिखाई पड़ता है बल्कि गर्मियों में जब यहां का पानी सूख जाता है तो आपको इस शिवलिंग के दर्शन होते हैं।
2 . भीमाशंकर वन्यजीव अभ्यारण्य
यदि आप भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते हैं तो आपको भीमाशंकर वन्यजीव अभ्यारण्य को भी अवश्य घूमना चाहिए। यह अभ्यारण्य लगभग 100 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इसके चारों ओर कल कल करते झरने, वन्य जीव, हरे भरे बृक्ष तथा यहां की शीतल वायु आपका मन मोह लेती है। यहां पर सभी वन्य जीव अपने प्राकृतिक आवासों में निवास करते हैं। यहां आपको कई प्रकार के औषधीय पेड़ पौधे भी देखने को मिलते हैं।
3 . हनुमान झील
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से कुछ ही दूरी पर हनुमान झील स्थित है। यहां तक पहुंचना थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन यह एक सुंदर पर्यटन स्थल है। झील के किनारे आपको कई छोटे वन्य जीव तथा गिलहरियां देखने को मिलती है।
4 . साक्षी विनायक गणपति मंदिर
साक्षी विनायक गणपति मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। यह मंदिर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से मात्र 2 किमी पर स्थित है। इस मंदिर में भगवान गणेश की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है।
5 . नागफणी पॉइंट
नागफणी पॉइंट घने जंगलों से घिरा एक सुंदर पर्यटन स्थल है। यहां पर आप कई प्रकार के सुंदर जंगली जीवों की प्रजातियां देख सकते हैं। साहसिक गतिविधियों के लिए यह एक श्रेष्ठ स्थान है। यहां से चारों ओर देखने पर प्रकृति का मनोहारी श्रृंगार आपका मन मोह लेता है।
भीमाशंकर मंदिर में आरती व पूजन का समय
प्रातः काल 4:30 बजे मंदिर खुल जाता है। 4:45 से 5.00 बजे तक आप मंदिर की मंगल आरती में शामिल हो सकते हैं। सुबह 5:00 बजे से 5.30 बजे तक के समय के मध्य आप मूल शिवलिंग का दर्शन कर सकते हैं। सुबह 5:30 बजे से दोपहर 2:30 बजे तक आप शिवलिंग के सामान्य दर्शन कर सकते हैं तथा अभिषेक कर सकते हैं। दोपहर 12.00 बजे से 12.30 बजे तक मंदिर में नैवैध पूजन होता है। इस समय अभिषेक करना वर्जित होता है। दोपहर 3:00 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक आप मध्यान्ह आरती में हिस्सा ले सकते हैं। दोपहर 3:30 से रात 9:30 तक आप श्रृंगार दर्शन कर सकते हैं। शाम 7:30 से 8:00 बजे तक संध्या आरती में भाग ले सकते हैं। रात्रि 9.30 बजे मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग किस प्रकार से पहुंचे
हवाई माध्यम से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग यात्रा
आपको बता दें कि भीमाशंकर मंदिर के आसपास कोई एयरपोर्ट नहीं है। अतः यदि आप इस मंदिर तक हवाई यात्रा से पहुंचना चाहते हैं तो आपको पुणे एयरपोर्ट पर उतरना होता है। यहां से आप बस या टैक्सी के माध्यम से भीमाशंकर मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते हैं।
रेलवे माध्यम से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग यात्रा
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के सबसे पास पुणे रेलवे स्टेशन है। जो देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से सीधा जुड़ा हुआ है। बता दें कि पुणे में दो रेलवे स्टेशन हैं। जिनमें से एक पुणे रेलवे स्टेशन तथा दूसरा शिवाजी नगर रेलवे स्टेशन। आपको शिवाजी नगर रेलवे स्टेशन उतरना होता है। यहां से आप बस या टैक्सी के माध्यम से आसानी से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पहुँच सकते हैं।
बस माध्यम से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग यात्रा
यदि आप बस से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि शिवाजी नगर पुणे बस स्टैंड से प्रत्येक आधा घंटे में MSRTC की बसे चलती हैं। यहां से आप बस में बैठकर मात्र 4 घंटे की यात्रा करके भीमाशंकर ज्योतिलिंग पहुंच सकते हैं।बस का किराया मात्र 180 रुपये है।