सावन सोमवार का दूसरा व्रत ! - Ramrajya Trust

तीन शुभ मुहूर्त के साथ प्रारंभ होगा सावन सोमवार का दूसरा व्रत, जानें महात्मय तथा व्रत संबंधी विस्तृत जानकारी

सावन का माह भगवान सदा शिव शंभू के भक्तगणों के लिए एक आध्यात्मिक उत्सव की तरह है। इस माह में भक्तगण भिन्न भिन्न तरीके से अपने इष्ट भगवान भोलेनाथ की सेवा, उपासना, व्रत तथा कथा इत्यादि किया करते हैं। यह माह शिव भक्तों के लिए अत्यंत लाभकारी तथा मनोवांछित फल देने वाला भी होता है।

वर्तमान में सावन माह के चलते भगवान भोलेनाथ के भक्त लगातार जलाभिषेक कर अपने इष्ट देव के कृपा पात्र बन रहें हैं। वहीं दूसरी ओर अन्य भक्तगण कठिन कांवड़ यात्रा पूरी कर सोमवार को भगवान शिव का अभिषेक कर रहें हैं। इस बार सावन का दूसरा सोमवार 25 जुलाई को है। इस दिन श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की द्वादशी की तिथि रहेंगी।

सोमवार को भक्तगण जहां व्रत-उपवास रखते हैं, वहीं कांवड़ यात्री जल से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं। आपको बता दें कि इस बार सावन माह के दूसरे सोमवार को तीन शुभ मुहूर्त बन रहें हैं। इस कारण दूसरा सोमवार अत्यंत विशेष हो गया है। दूसरे सोमवार में बनने वाले इन तीन शुभ मुहूर्तों के बारे में हम आपको यहां विस्तार से बताएंगे। सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि भगवान शिब को यह माह आखिर क्यों पसंद है। आपको बता दें कि पौराणिक ग्रंथों में इस माह का विशेष विवेचन किया गया है। इन ग्रंथों में भगवान शिव से संबंधित कई घटनाओं का विशेष वर्णन किया गया है। जो इस माह के महात्मय के बारे में इंगित करती हैं।

 

इसलिए भगवान शिव को पसंद है सावन माह ( सावन माह का महात्म्य)

भगवान शिव को सावन माह क्यों पसंद है। इस बारे में पौराणिक ग्रंथ हमें कई तथ्यों से अवगत कराते हैं। आइये इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं।

1 . महाराज दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह करने के बाद देवी सती ने दूसरा जन्म देवी पार्वती के रूप में लिया था। उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था। जिसके बाद सावन माह में ही भगवान शिव ने उनसे विवाह किया था।

2 . पौराणिक ग्रंथों में यह वर्णित है कि भगवान शिव पृथ्वी पर प्रकट होकर अपनी ससुराल को सावन माह में ही गए थे। लोक मान्यता भी यही है कि सावन माह में भगवान शिव पृथ्वी पर अपनी ससुराल आते हैं अतः उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए पृथ्वी वासियों के लिए यह एक अनुपम अवसर होता है।

3 . समुद्र मंथन से निकले हलाहल को कंठ में धारण करने के उपरांत देवताओं ने उनका जलाभिषेक किया था। अतः जलाभिषेक भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है।

4 . ऋषि मार्कण्डेय ने सावन माह में ही तप करके भगवान शिव की कृपा प्राप्त की थी। जिसके कारण वे अकाल मृत्यु से बच सके थे।

5 . सावन माह में देव शयनी एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। जिसके बाद सृष्टि सञ्चालन का कार्य भगवान शिव ही करते हैं। अतः वे ही सावन माह के प्रधान देव हैं।

 

दूसरे सोमवार में बन रहे हैं ये तीन शुभ मुहूर्त

दूसरे सोमवार में बनने वाले इन तीन शुभ मुहूर्त के बारे में हम आपको यहां विस्तार से बता रहें हैं।

 

1 . दूसरे सोमवार को है प्रदोष व्रत 

सावन के दूसरे सोमवार की संध्या से त्रियोदशी लग जाने से इस सोमवार का व्रत प्रदोष व्रत हो जायेगा। आपको बता दें कि प्रदोष व्रत भगवान् भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है। इस बार यह सोमवार को ही पड़ रहा है अतः सावन का यह दूसरा सोमवार शिव भक्तों के लिए अत्यंत विशेष है।

 

2 . दूसरे सोमवार को है सर्वार्थ सिद्धि योग 

सावन के इस दूसरे सोमवार में सर्वार्थ सिद्धि योग का विशेष योग पड़ रहा है। यह योग सूर्योदय से लेकर सूर्योस्त तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग में आप जो भी शुभ कार्य करते हैं। उसका आपको शुभ फल ही मिलता है। यदि आप मनोकामना लेकर इस दिन भगवान शिव की उपासना करेंगे तो आपको उसका फल निश्चित ही मिलेगा।

 

3 . दूसरे सोमवार को है अमृत सिद्धि योग

अमृत सिद्धि योग इस बार के सावन माह के दूसरे सोमवार का तीसरा सबसे विशेष योग है। इस योग में भगवान शिव तथा भगवान विष्णु का पूजन तथा गंगा स्नान करना अमृत के सामान के समान फलदाई बताया गया है। इस योग के बारे में धर्म ग्रंथ कहते हैं कि जो व्यक्ति इस योग में पुण्यकारक कर्म करता है। उसको उनका अमृततुल्य फल मिलता है साथ ही अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त होता है। इस प्रकार से देखा जाए तो सावन माह का दूसरा सोमवार शिवभक्तों के लिए तीन विशेष मुहूर्त लेकर आ रहा है।

 

सावन माह में इन तिथियों को हैं सोमवार 

सावन का पहला सोमवार- आषाढ़-श्रावण माह, कृष्ण पक्ष की पंचमी (18 जुलाई 2022)

सावन का दूसरा सोमवार- आषाढ़-श्रावण माह, कृष्ण पक्ष की द्वादशी (25 जुलाई 2022)

सावन का तीसरा सोमवार- श्रावण-भाद्रपद माह, शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (01 अगस्त 2022)

सावन का चौथा सोमवार- श्रावण-भाद्रपद माह, शुक्ल पक्ष की एकादशी (08 अगस्त 2022)

 

सावन सोमवार व्रत की सरल विधि 

सावन के सोमवार का व्रत सूर्योदय से लेकर तीसरे पहर तक किया जाता है। व्रत वाले दिन भक्त को ब्रह्म मुहूर्त में ही उठ जाना चाहिए। इसके बाद पूरे घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत हो जाना चाहिए। अब भक्त को घर में भगवान शिव की प्रतिमा अथवा चित्र को किसी पवित्र स्थान पर स्थापित करना चाहिए। इसके बाद आप व्रत के लिए हाथ में जल, अक्षत, पान का पत्ता, सुपारी और कुछ सिक्के लेकर शिव मंत्र के साथ संकल्प करें।

 

ऊं शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्।

 

उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्॥

इसके बाद भक्त को सोमवार व्रत कथा को पढ़ना चाहिए। ध्यान दें की भक्त के पास कथा सुनने वाला कम से कम एक व्यक्ति अवश्य होना चाहिए। इसके पश्चात भक्त को आरती कर प्रसाद का वितरण करना चाहिए। अब भक्त को भोजन अथवा फलाहार का भोग भगवान शिव को लगाकर स्वयं भोजन करे।

 

सावन सोमवार व्रत कथा का फल

सावन माह में सोमवार का व्रत करने वाले भक्त पर भगवान् शिव तथा देवी पार्वती की अनुकंपा सदैव बनी रहती है। भक्त का जीवन धन धान्य से भरपूर रहता है। इसके अलावा भगवान शिव भक्त के सभी कष्टों का हरण कर लेते हैं। आइये अब हम आपको बताते हैं की सावन सोमवार के व्रत के दौरान आप किन किन वस्तुओं का सेवन कर सकते हैं।

 

सावन माह के व्रत में आप क्या सेवन करें ओर क्या करें 

सावन का माह हिंदू धर्म में अत्यंत विशेष महत्त्व रखता है। हिंदू नर नारी इस माह के सोमवार को व्रत रखते हैं। कुछ लोग तो पूरे माह भी व्रत रखते हैं। इस माह में कुछ भक्त लोग सेंधा नमक का उपयोग करते हैं तो कुछ सिर्फ फलाहार लेते हैं। यहां हम आपको बता रहें हैं कि आप सावन माह में किन किन वस्तुओं का उपयोग खाने पीने में व्रत के समय कर सकते हैं।

1 .  नींबू पानी, स्मूदी, नारियल पानी इत्यादि को आप पेय पदार्थों के रूप में ले सकते हैं।

2 . व्रत के दौरान आप सूखे मेवे का उपयोग कर सकते हैं। इससे आपके शरीर में ऊर्जा बनी रहेगी।

3 . लौकी, अरबी, कद्दू इत्यादि सब्जियों का उपयोग आप भोजन में कर सकते हैं। इसके अलावा ताजे फल भी ले सकते हैं।

 

 

सावन व्रत के दौरान इन चीजों से रहें दूर 

1 . सुबह उठ कर खाली पेट आप चाय न लें। इससे आपको दिनभर गैस की समस्या से ग्रसित रहना पड़ सकता है। इसके स्थान पर आप कुछ हल्का नाश्ता सुबह ले लें।

2 .  व्रत के दौरान अपने पेट को आप लंबे समय तक खाली न रखें। इससे आपको कमजोरी महसूस हो सकती है तथा आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ऐसा करने से कम होती है।

3 . व्रत के दौरान आप अधिक तला भुना हुआ भोजन न करें। इससे आप गैस, बदहजमी तथा कब्ज से ग्रसित हो सकते हैं।

 

 

Sawan Ke Somvar Ka Vrat - Ramrajya Trust
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